...जमीं से आसमां तक ... कभी इस जिस्म से रूह तक ...मचलती हुई ...
...वक़्त की हर दहलीज पर ... कभी उस चौखट पर ... जहाँ मेरी खुशियाँ रहती हैं...
...ज़िन्दगी के हर अनछुए पहलू पर...उन हर अनदेखे ख्वाबों पर... जो कभी मेरी पलकों पे सजा करते थे ...
... जो मुझे मिले नहीं ...उन्हीं पलों में ख़ामोश गुज़रती ज़िन्दगी ...की कल्पनाओं की उड़ान....
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