दिन भर धूप में जलता रहा सूरज ,
हथेलियों तले जो ढका , तो थोड़ा आराम आया ,
वक़्त ने पार कर ली अपनी सारी हदें ,
उनकी ज़ुल्फों तले जो शाम ढली , तो थोड़ा आराम आया ,
अंधेरे डराते रहे रात भी जागती रही तन्हा ,
ज़िंदा लम्हों को जो याद किया , तो थोड़ा आराम आया ,
भागते - दौडते उलझनों में ग़ुजरते रहे रास्ते ,
सितारों की चादर ओढ़ के ♥ कल्प ♥ जो सोये , तो थोड़ा आराम आया !!
~ ♥ कल्प वर्मा ♥ ~
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